भारतीय संविधान के अनुसार सरकार डेमोक्रेसी से चलती है, जिसके लिए जनता का वोट अहम रोल अदा करता है। जनता अपने वोट के माध्यम से ही नेताओं को वोट डालती हैं और जिसके पक्ष में वोट अधिक जाते हैं, वह नेता विजय हो जाता है और इस नेता से संबंधित पार्टी सत्ता में रहकर देश और राज्य की सरकारों का निर्वाह करती है।
जिसके बाद वह सरकारी जनता के हितों को लेकर काम करती हैं और निष्पक्ष तरीके से एक डेमोक्रेसी सत्ता को चलती है। आज के अपने इस आर्टिकल में हम बात करेंगे अगर एक ही सीट से दो कैंडिडेट को बारबार वोट मिलते है तो उस स्तिथि में किस कैंडिडेट की जीत होगी?
जब एक ही सीट से दो कैंडिडेट एक साथ जीत जाते है?
कई बार ऐसी स्थिति आ जाती है कि एक ही सीट से दो कैंडिडेट को बराबर वोट मिलते हैं तो उस स्थिति में भारतीय संविधान के अनुसार चुनाव आयोग ने कुछ रूल और नियम तय किए हुए हैं। जिसके बाद किसी एक कैंडिडेट को विजय घोषित कर दिया जाता है, जिसका उल्लेख हम अपने इस आर्टिकल में विस्तार पूर्वक करने जा रहे हैं।
जब एक ही सीट पर दो कैंडिडेट जीत जाते है तो क्या है नियम और शर्तें है? किस को जीत का दर्जा दिया जाता है?
चुनाव आयोग के अनुसार जब मतगणना की गिनती शुरू होती है, तब एक ही सीट पर दो कैंडिडेट को अगर बराबर वोट मिल जाते हैं तो उस स्थिति में चुनाव अधियोग अधिकारी लॉटरी सिस्टम का इस्तेमाल करते हैं। इस लॉटरी सिस्टम का अधिकार वहीं पर मौजूद चुनाव अधिकारी जो चुनाव आयोग की तरफ से होता है, उसके पास यह खास अधिकार होता है कि वह लॉटरी सिस्टम के माध्यम से किसी एक कैंडिडेट को विजय घोषित करें।
जिस भी कैंडिडेट को वह लॉटरी सिस्टम के अनुसार विजय घोषित करेंगे तब इस स्तिथि में दोनों कैंडिडेट को यह निर्णय मानना होता है। उसके बाद चुनाव अधिकारी जीते हुए प्रत्याशी की लिस्ट को जारी करते हुए जिला निर्वाचन आयोग अधिकारी के पास भेज देते हैं और रिजल्ट को घोषित कर देते हैं।
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